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Masaba Gupta के पिता Vivian Richards ने Racism का सामना किया, अभिनेत्री के आने वाले बच्चे को लेकर भी मिलती है ऐसी सलाहें

रंगभेद (racism) एक ऐसा मुद्दा है जिसे कई प्रसिद्ध हस्तियों को अपने जीवन में सामना करना पड़ा है। क्रिकेट जगत के दिग्गज Vivian Richards और बॉलीवुड अभिनेत्री नीना गुप्ता की बेटी Masaba Gupta ने हाल ही में एक इंटरव्यू में अपने पिता के रंगभेद के अनुभवों को साझा किया। मासाबा, जो खुद एक अभिनेत्री और फैशन डिज़ाइनर हैं, ने अपने पिता के साथ हुए रंगभेद के दर्द को लेकर महत्वपूर्ण बातें साझा की हैं।

Vivian Richards का रंगभेद का दर्द

Masaba Gupta ने फे डि’सूज़ा को दिए इंटरव्यू में कहा कि अब वह समझती हैं कि उनके पिता Vivian Richards रंगभेद के प्रति कितने संवेदनशील क्यों थे। उन्होंने बताया, “अब मुझे समझ में आता है कि मेरे पिता ने रंगभेद को लेकर इतने सालों तक क्यों महसूस किया। आज भी, अगर आप उनसे पूछें, तो उनकी आंखों में आंसू आ जाएंगे या उनके अंदर इतना गुस्सा होगा कि वह गर्व से जवाब देंगे। उन्होंने सबसे बुरे समय में क्रिकेट खेला जब आपकी त्वचा का रंग आपकी सफलता में एक बाधा बनता था। यह हर जगह है। जब तक हम इसके खिलाफ लड़ेंगे नहीं, यह चर्चा में रहेगा और केवल तब ही इसे रोका जा सकेगा जब सभी इसके खिलाफ लड़ेंगे।”

Masaba Gupta और उनकी गर्भावस्था

Masaba Gupta इन दिनों गर्भवती हैं और इस दौरान उन्हें रंगभेद से जुड़ी सलाहों का सामना भी करना पड़ा है। उन्होंने बताया कि कैसे लोगों ने उनके आने वाले बच्चे के रंग को लेकर सलाह दी। उन्होंने साझा किया, “कल ही एक व्यक्ति ने मुझसे कहा, ‘आपको हर दिन रसगुल्ला खाना चाहिए ताकि आपका बच्चा आपके जैसे काला न हो।’ और 15 दिन पहले, जब मैं प्री-डिलीवरी मसाज करवा रही थी, तो मेरी मसाज देने वाली ने मुझसे कहा, ‘आप दूध मत लिया करो, आपका बच्चा काला न हो जाए।'”

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रंगभेद और समाज

रंगभेद के मुद्दे को लेकर Masaba Gupta की टिप्पणियां यह दर्शाती हैं कि समाज में किस तरह के भेदभाव और पूर्वाग्रह मौजूद हैं। Vivian Richards ने क्रिकेट के क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों के बावजूद रंगभेद के खिलाफ संघर्ष किया। Masaba Gupta के साथ भी रंगभेद की इसी तरह की समस्याएं सामने आई हैं, जो बताती हैं कि समाज में अभी भी इस मुद्दे की गंभीरता को समझने की आवश्यकता है।

आने वाली पीढ़ी और रंगभेद

Masaba Gupta के अनुभव रंगभेद के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करते हैं कि यह केवल व्यक्तिगत समस्याओं तक सीमित नहीं है बल्कि समाज की सोच में भी गहराई से जड़ें जमाई हुई है। बच्चों को लेकर रंगभेद की सलाहें यह दर्शाती हैं कि समाज में अभी भी कई लोग इस तरह के पूर्वाग्रहों से ग्रसित हैं। यह जरूरी है कि हम समाज में रंगभेद के खिलाफ जागरूकता फैलाएं और इस तरह के भेदभाव के खिलाफ खड़े हों।

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समाज में बदलाव की आवश्यकता

रंगभेद के खिलाफ लड़ाई केवल रंगभेद पीड़ित लोगों की नहीं बल्कि समाज की है। यह आवश्यक है कि हम अपने दृष्टिकोण को बदलें और सभी लोगों को समान अवसर प्रदान करें। Masaba Gupta और Vivian Richards के अनुभव यह दर्शाते हैं कि रंगभेद एक गंभीर समस्या है जिसे सामूहिक प्रयास से ही समाप्त किया जा सकता है। समाज को चाहिए कि वह रंगभेद के खिलाफ जागरूकता फैलाए और ऐसे पूर्वाग्रहों को समाप्त करने के लिए ठोस कदम उठाए।

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